
अलवर.
राजकीय आदर्श माध्यमिक विद्यालय हाजीपुर डडीकर में एक वर्ष में हुए नवाचार से स्कूल की तस्वीर ही बदल गई है। यह सरकारी स्कूल जनसहयोग का जीता जागता नमूना है।
हाजीपुर डडीकर गांव में माध्यमिक स्कूल में दो साल पहले सुविधाओं का अभाव था। यहां विद्यार्थियों की संख्या निरन्तर कम होती जा रही थी। इस विद्यालय के विद्यार्थी प्राइवेट स्कूलों की ओर स्थानान्तरित हो रहे थे। यहां एक साल पूर्व संस्था प्रधान पद पर किरण ने कार्यभार संभाला।
इन्होंने कार्यभार संभालते ही सभी स्टॉफ सदस्यों का सहयोग लिया और इन्होंने इस स्कूल की सूरत बदलने का आह्वान किया। यहां जब इन्होंने कार्यभार संभाला तो 10 कक्षाएं 6 कमरों में चल रही थी जिसके कारण स्कूल विधिवत नहीं चल रहा था।
यहां सबसे बड़ी समस्या पेयजल की थी जिसके कारण विद्यार्थियों को अपने घर से पानी लाना पड़ता था। ऐसे में संस्था प्रधान किरण ने स्टाफ को साथ लेकर ग्रामीणों से सम्पर्क किया और जनसहयोग की अपील की। इसके कारण स्कूल में 2 नए कमरों का निर्माण हुआ और विद्यालय भवन का रंग-रोगन हुआ। यहां 5 लाख की लागत से 2 कमरों का निर्माण हुआ। यहां वर्तमान में एक और कमरे का निर्माण कार्य चल रहा है। यह कमरा ग्रामीणों के सहयोग से बनाया जा रहा है।
सभी कमरों में चित्रकारी
इस स्कूल के प्रत्येक कमरे में चित्रकारी का काम किया गया है जिससे विद्यार्थी इस विद्यालय के प्रति आकर्षित होने लगा है। यहां एक वर्ष पहले ही नामांकन 326 थी जो बढ़कर 397 हो गया है। यहां इस नए शिक्षा सत्र में विद्यार्थियों की संख्या और बढऩे की संभावना है। यहां सभी विद्यार्थियों को सर्दियों में गर्म जर्सी दिलवाई जाती हैं और गरीब विद्यार्थियों को जनसहयोग से शिक्षण सामग्री दिलवाई जाती है।
यह विद्यालय जनसहयोग से हुए विकास कार्यों का जीता जागता मिसाल बन गया है। विद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव जितेन्द्र मोदी का कहना है कि इस स्कूल में पानी के लिए टंकी बनाई गई है और वाटर कूलर भी लगाया जा रहा है। विद्यालय का गेट आकर्षक बनाया गया है। यह स्कूल समीपवर्ती कई स्कूलों के लिए आदर्श बन गया है। यहां सफाई बनाए रखने के लिए जगह-जगह डस्टबीन लगाए गए हैं और शौचालय पूरी तरह साफ सुथरे बन गए हैं।