
इमरान सिदिृकी/जयपुर.
महज 9 साल की उम्र और एक लगभग लाइलाज बीमारी का बोझ उठाने की पीड़ा। लोगों को इस बच्चे की बीमारी से घिन इतनी आई कि गांव के स्कूल में उसे कक्षा में बैठने से ही मना कर दिया गया। इलाहाबाद के मानिकपुर का रहने वाला 9 साल का गोलू एलीफैंट फूट जैसी एक लाइलाज बीमारी से पीडि़त है।
पैदाइश से ही उसका दांया हाथ एलीफैंट फुट जैसी रेयर बेमारी के कारण असामान्य रूप से सूजा हुआ है। इस बीमारी के इलाज के लिए 3 महीने पहले इलाहाबाद से परिवार जयपुर आया। यहां सवाई मानसिंह अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टर बोले कि इलाज संभव नहीं हाथ काटना पड़ेगा। बच्चे के पिता रामकिशन बच्चे की बीमारी के लिए हर संभव करने को तैयार है लेकिन हाथ कटवाने को राजी नहीं है।
परिवार के गुजर-बसर के लिए बड़ी चौपड़ फलों ठेला लगाते हैं। कहते हैं हाथ नहीं कटाऊंगा अपने बच्चे का। गोलू भी इस हाथ से सारे काम जैसे बाल्टी उठाना चीजों को पकडऩा और सामान्य रूप से उपयोग में लेने जैसे काम कर लेता है।कई जगह भटके लेकिन नहीं बनी बातगोलू ने बताया कि बचपन में इस हाथ का इलाज चला था। उस समय इसका मांस निकाल दिया था लेकिन कुछ ही महीनों में फिर से पहले जैसा हो गया।
गांव के लोगों की सलाह पर जयपुर आए हैं। इससे पहले नैनीताल, दिल्ली, मुम्बई और अन्य बड़े शहरों में भी डॉक्टर्स को दिखाया लेकिन इलाज कहीं भी नहीं हो पाया। परिवार की माली हालत भी ठीक नहीं है। ऐसे में निजी अस्पताल में जाकर इलाज का खर्चा उठाने में भी असमर्थ हैं। गोलू यूं तो विश्वास से भरा हुआ है लेकिन वो लोगों की निगाहों से विचलित हो जाता है। उसे पढऩा पसंद है
लेकिन उसे स्कूल से सिर्फ इस बात के लिए स्कूल आने से मना कर दिया कि बाकी बच्चे उसके असामान्य हाथ को देख कर डरते हैं। गोलू अभी अपने पिता के साथ स्टेशन से बड़ी चौपड़ आ जाता है और शाम को उनके ठेले के साथ वापस लौट जाता है। कुछ लोगों ने उन्हें उदयपुर में महावीर विकलांग संस्थान जाने की सलाह भी दी है।