अलवर.
अलवर. एक तरफ अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए बेहतर दिलाने के नाम पर खूब पैसा खर्च करते हैं। ऐसे में एक सातवीं कक्षा में पढऩे वाला विद्यार्थी आजम खां परीक्षा के समय गरीबी के कारण बकरी चराता है जिसे शिक्षक जंगल से परीक्षा दिलाने ले जाते हैं।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भंडवाड़ा में सातवीं कक्षा में पढऩे वाला छात्र आजम खान परीक्षा देने की बजाए बकरी चलाने जंगल चला जाता है। इस छात्र की मजबूरी यहा के अध्यापकों को पता है तो ऐेसे में वे उसे मोटरसाइकिल पर बैठाकर जंगल से परीक्षा केन्द्र तक लाते हैं।
इस विद्यार्थी की कक्षा के कक्षाध्यापक खुशीराम यादव अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर स्कूल तक लाते हैं। वे इसे परीक्षा में काम आने वाले पेन व पेंसिल उपलब्ध कराते हैं। पूरी परीक्षा के दौरान यह सिलसिला प्रतिदिन चलता है। वह अपनी बकरियां अपने चाचा के लड़के को सौंप कर आता है।
आजम खान पढ़ाई में होशियार
इस स्कूल के प्रधानाचार्य मेहताब सिंह चौधरी का कहना है कि आजम खान पढ़ाई में होशियार है लेकिन उसके परिवार के लिए उसे बकरी चराने के लिए भेजना अधिक आवश्यक है।
ऐसे बालक को परीक्षा केन्द्र तक लाना अनिवार्य है, इसके लिए उसे मोटरसाइकिल पर बैठाकर स्कूल तक लाया जाता है। ऐसे किसी भी बालक को पढ़ाई से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसे बालकों को चिह्नित कर उन्हें पढ़ाई के सभी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
इधर, विद्यार्थी आजम खान का कहना है कि वह गरीबी के कारण पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं दे पाता है। यदि मास्टरजी उसे मोटरसाइकिल से बैठाकर नहीं लाते तो वह परीक्षा भी नहीं दे पाता। प्रधानाचार्य मेहताब सिंह जी उसे हमेंशा पढ़ाई करने की बात कहते हैं।
अलवर. एक तरफ अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए बेहतर दिलाने के नाम पर खूब पैसा खर्च करते हैं। ऐसे में एक सातवीं कक्षा में पढऩे वाला विद्यार्थी आजम खां परीक्षा के समय गरीबी के कारण बकरी चराता है जिसे शिक्षक जंगल से परीक्षा दिलाने ले जाते हैं।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भंडवाड़ा में सातवीं कक्षा में पढऩे वाला छात्र आजम खान परीक्षा देने की बजाए बकरी चलाने जंगल चला जाता है। इस छात्र की मजबूरी यहा के अध्यापकों को पता है तो ऐेसे में वे उसे मोटरसाइकिल पर बैठाकर जंगल से परीक्षा केन्द्र तक लाते हैं।
इस विद्यार्थी की कक्षा के कक्षाध्यापक खुशीराम यादव अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाकर स्कूल तक लाते हैं। वे इसे परीक्षा में काम आने वाले पेन व पेंसिल उपलब्ध कराते हैं। पूरी परीक्षा के दौरान यह सिलसिला प्रतिदिन चलता है। वह अपनी बकरियां अपने चाचा के लड़के को सौंप कर आता है।
आजम खान पढ़ाई में होशियार
इस स्कूल के प्रधानाचार्य मेहताब सिंह चौधरी का कहना है कि आजम खान पढ़ाई में होशियार है लेकिन उसके परिवार के लिए उसे बकरी चराने के लिए भेजना अधिक आवश्यक है।
ऐसे बालक को परीक्षा केन्द्र तक लाना अनिवार्य है, इसके लिए उसे मोटरसाइकिल पर बैठाकर स्कूल तक लाया जाता है। ऐसे किसी भी बालक को पढ़ाई से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसे बालकों को चिह्नित कर उन्हें पढ़ाई के सभी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
इधर, विद्यार्थी आजम खान का कहना है कि वह गरीबी के कारण पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं दे पाता है। यदि मास्टरजी उसे मोटरसाइकिल से बैठाकर नहीं लाते तो वह परीक्षा भी नहीं दे पाता। प्रधानाचार्य मेहताब सिंह जी उसे हमेंशा पढ़ाई करने की बात कहते हैं।