जयपुर। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों की एंट्री लेवल कक्षा में 25 प्रतिशत सीटों पर नि:शुल्क प्रवेश देने का प्रावधान है, लेकिन इस बार आवेदन प्रक्रिया गरीबों के साथ मजाक बन गई है। नि:शुल्क प्रवेश के लिए आॅनलाइन या मोबाइल एप से ही आवेदन किया जा रहे हैं, जबकि गत वर्षों में स्कूल जाकर भी आवेदन किया जा सकता था। आॅनलाइन प्रक्रिया की समझ नहीं होने के कारण जरूरतमंद लोगों को प्रवेश के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान कोई ई-मित्र या कम्प्यूटर सेंटर पर जाकर पैसे देकर आवेदन करवा रहा है तो कोई जान-पहचान वाले की मनुहार कर रहा है। रोचक यह है कि सरकारी व निजी स्कूलों में सामान्य प्रवेश प्रक्रिया आॅफलाइन ही संचालित है। यहां तक कि बड़े-बड़े निजी स्कूल भी फॉर्म भरवाकर प्रवेश देते हैं, लेकिन गरीबों के बच्चों की शिक्षा के आवेदन आॅनलाइन ही लिए जा रहे हैं। निर्धन लोगों के पास एंड्रोइड मोबाइल भी नहीं है। इस दौरान कंप्यूटर वाले गरीबों से आवेदन के लिए 50 से लेकर 200 रुपए तक वसूल रहे है।
पास की स्कूलों में प्राथमिकता से दाखिला
नि:शुल्क प्रवेश के लिए अभिभावक 30 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। 2 मई को लॉटरी निकाली जाएगी। 3 से 8 मई तक सम्बंधित विद्यालय में रिपोर्ट करना होगा। 9 मई से बालक का विद्यालय में प्रवेश हो जाएगा। प्रवेश के दौरान शहरी क्षेत्र में सम्बंधित वार्ड तथा ग्रामीण क्षेत्र में संबंधित गांव के निवासी को प्राथमिकता मिलेगी। शहरी निकाय या ग्राम पंचायत से बाहर निवास करने वाले बालक-बालिका प्रवेश के पात्र नहीं होंगे। आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में 15 स्कूल के आॅनलाइन आॅप्शन खुला है।
पास की स्कूलों में प्राथमिकता से दाखिला
नि:शुल्क प्रवेश के लिए अभिभावक 30 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। 2 मई को लॉटरी निकाली जाएगी। 3 से 8 मई तक सम्बंधित विद्यालय में रिपोर्ट करना होगा। 9 मई से बालक का विद्यालय में प्रवेश हो जाएगा। प्रवेश के दौरान शहरी क्षेत्र में सम्बंधित वार्ड तथा ग्रामीण क्षेत्र में संबंधित गांव के निवासी को प्राथमिकता मिलेगी। शहरी निकाय या ग्राम पंचायत से बाहर निवास करने वाले बालक-बालिका प्रवेश के पात्र नहीं होंगे। आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में 15 स्कूल के आॅनलाइन आॅप्शन खुला है।