शिक्षाविभाग की लापरवाही का खामियाजा जिले के 42 प्राइवेट स्कूल संचालकों को भुगताना पड़ रहा है। शिक्षा सत्र 2016-17 में ऑनलाइन आवेदन करने के साथ निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद भी इन स्कूलों को मान्यता नहीं मिली है। हालांकि इन स्कूलों की ओर से निरीक्षण रिपोर्ट समय पर मान्यता पोर्टल पर अपलोड कर दी गई थी लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण निर्धारित समय 25 मार्च तक ऑनलाइन स्वीकृति नहीं मिल पाई। गुरुवार को इस मसले पर स्वयं सेवी शिक्षण संस्था संघ के बैनर तले आवेदकों का एक प्रतिनिधि मंडल डीईओ प्रारंभिक से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि आवेदकों की ओर से निर्धारित शर्तों को पूरा कर दिया गया है। वहीं पैनल रिपोर्ट भी सकारात्मक है। तत्कालीन डीईओ प्रारंभिक की ओर से समय पर ऑनलाइन स्वीकृति जारी नहीं करने के कारण यह हालात बने हैं। समय पर मान्यता नहीं मिलने से यह स्कूल एक सत्र पिछड़ जाएंगे। प्रतिनिधि आवेदकों ने इस संबंध में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को भी ज्ञापन सौंपा शिक्षा सत्र 2016-17 में ही मान्यता जारी करने की मांग रखी है।
^निजी स्कूलों को मान्यता नहीं मिलने पर आवेदकों ने अपना पक्ष रखा है। इनके प्रकरण को मुख्यालय के माध्यम से सरकार को भेजा जाएगा। ब्रह्मानंदशर्मा, डीईओ, प्रारंभिक
^आवेदकों की ओर से आवेदन के सभी मापदंड पूरे किए गए हैं। लापरवाही विभाग की रही है। सरकार को चाहिए कि इन्हें शिक्षा सत्र 2016-17 में ही मान्यता जारी करें। कोडारामभादू, अध्यक्ष, स्वयं सेवी शिक्षण संस्था संघ, राजस्थान
यह है पूरा मामला
शिक्षासत्र 2016-17 में जिले से 199 स्कूलों ने मान्यता और क्रमोन्नति के लिए आवेदन किया। ग्रामीण स्कूलों को भू-रूपांतरण में सरकार की ओर से शिथिलता देने के बाद इन 42 स्कूलों का निरीक्षण किया गया। उधर, सरकार ने आवेदन की अंतिम तिथि 25 मार्च निर्धारित कर दी। डीईओ प्रारंभिक का पद रिक्त होने के कारण अतिरिक्त चार्ज तत्कालीन डीईओ माध्यमिक तेजा सिंह के पास था। डीईओ माध्यमिक के बोर्ड परीक्षा में व्यस्त होने के कारण पैनल रिपोर्ट सकारात्मक होने के बाद भी निर्धारित तिथि तक ऑनलाइन स्वीकृति जारी नहीं हो पाई। जिसे इन स्कूलों को मान्यता नहीं मिला पाई है।
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