Thursday, April 20, 2017

Praveen Singh

15000 सरकारी स्कूल बंद, ढाई लाख बच्चे घटे, 847 गर्ल्स स्कूलों पर भी ताले


...इधर बढ़े 1100 निजी स्कूल, इनमें जुड़ गए एक लाख बच्चे

नएशिक्षा सत्र से पहले राजस्थान में प्रारंभिक शिक्षा की यह डरावनी खबर है। भाजपा सरकार के मौजूदा कार्यकाल में तीन शिक्षा सत्रों में 15294 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए। खामियाजा हुआ ढाई लाख बच्चे घट गए। सरकार के इस फैसले का फायदा मिला निजी स्कूलों को। इस दौरान 1122 निजी स्कूल बढ़ गए। इनमें बच्चों की तादाद भी एक लाख 11 हजार बढ़ गई। तीन सत्रों में राज्यभर में 847 सरकारी गर्ल्स स्कूलों पर भी ताले लटक गए।

प्राशि के स्टेट रिपोर्ट कार्ड ने ये गड़बड़ाए हालात उजागर किए हैं। कम नामांकन के चलते पिछले तीन सत्र से औसतन हर साल 5 हजार सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। विभाग अपनी वाहवाही बनाए रखने के लिए इसे मर्जिंग, एकीकरण का नाम देता रहा है। खराब स्थिति इसलिए हैं कि लगातार सरकारी स्कूल बंद होने का सीधा फायदा निजी स्कूलों को मिल रहा है। पिछले पांच सत्रों में प्रदेश में 4948 निजी स्कूल बढ़ गए। इस दौरान साल दर साल निजी स्कूल छलांग लगाते रहे। 2013-14 में जहां निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या 5749489 थी वो 16-17 में 1 लाख 11789 बढ़ते हुए 58 लाख 61278 तक पहुंच गई है। अगले तीन सत्रों के लिए विभाग ने नामांकन बढ़ाने के सालाना टारगेट तय कर दिए हैं।





इस बीच कम नामांकन वाले करीब ढाई हजार स्कूल दूसरे स्कूलों में शिफ्ट करने की योजना पाइपलाइन में है।

ये चूक भारी पड़ रही सरकार को

{स्कूल बंद करने की बजाय संसाधन विकसित करते हुए नामांकन बढ़ाएं। हो रहा है इसके उल्टा।

{ प्रारंभिक ढांचा मजबूत करने की सबसे ज्यादा जरूरत, हो रहीं स्कूलें कम। फोकस माध्यमिक पर।

{ दूर-दराज पिछड़े इलाकों-ढाणियों में स्कूलों के फैलाव की जरूरत। हो रही हैं कम।

{ एकीकरण के पैरामीटर्स ठीक से तय नहीं हुए।

पांचवीं तक के 14297 स्कूलों ने अस्तित्व खोया

प्रदेशमें तीन शिक्षा सत्रों में सर्वाधिक 14297 अस्तित्व खोने वाले पांचवीं कक्षा तक के प्राथमिक स्कूल हैं। शेष उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। विभाग का तर्क रहा है कि राजनीतिक दबाव में बिना जरूरत के खोले गए स्कूल बंद अथवा मर्ज हुए हैं। इसका बड़ा असर राजकीय स्कूलों में घटता नामांकन और निजी स्कूलों में बच्चों की बढ़ोतरी के रूप में सामने आया है। शिक्षाविदों के एक वर्ग का मानना है कि यह शिक्षा के निजीकरण को तेजी से बढ़ावा देने की दिशा में उठ रहा कदम है। यही हाल रहा तो भविष्य में प्रारंभिक सैटअप की स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाएगी।

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