सिरोही ।
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, फिर हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए, सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। हिन्दी गजल के पुरोधा दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां अब शिक्षा विभाग में दोहराई जाएगी। सिरोही को शैक्षणिक सत्र 2017-18 के प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में जो लक्ष्य दिया गया है वह पहले ही चरण में पूरा हो। इसके लिए शिक्षा विभाग ने प्लानिंग की है। शिक्षक प्रवेशोत्सव के दूसरे चरण का इंतजार न कर पहले ही चरण में लक्ष्य प्राप्त करेंगे। अब शिक्षक पहले ही चरण में जिले को दिए हुए लक्ष्य प्राप्ति के लिए ऐडी चोटी का जोर लगाएंगे। शिक्षक सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों में विश्वास पैदा करेगा कि आपके लाल को सरकारी स्कूलों में दाखिला (प्रवेश) दिलाओ। साथ ही समाज को सही नेतृत्व देने के लिए, बच्चे की समझ बढ़ाने के लिए अब समन्वित प्रयास किए जाएंगे। बच्चे का प्रवेश स्कूल में होने के बाद पोर्टल पर एंट्री के साथ ही प्रवेश आवेदन पत्र एवं कक्षा उपस्थिति रजिस्टर में बालक के नाम के साथ प्रवेश कराने वाले प्रेरक शिक्षक का नाम आवश्यक रूप से लिखना होगा। नवप्रवेशी बच्चे को नए माहौल में घुलने-मिलने, झिझक दूर करने के लिए विद्यालय में उपलब्ध संसाधानों टीवी, एलईडी, खेल-सामग्री, कम्प्यूटर लैब, खिलौने का उपयोग करना होगा। ऐसे में जब बच्चा छुट्टी के बाद हंसता हुआ घर जाएगा तो एक नए बच्चे को अगले दिन अपने साथ लेकर आएगा।
यह उपाय भी होगा कारगर
प्राथमिक कक्षाओं में ठहराव सुनिश्चित करने के लिए पूरे समय कक्षा में अध्यापक का होना जरूरी है। इसके लिए संस्था प्रधान एसएमसी, जनसहयोग, भामाशाहों की मदद से स्थानीय शिक्षित महिला को मानदेय पर अध्यापिका के रूप में लगा सकते है। सब कुछ उम्मीदों के मुताबिक हुआ तो समन्वय और सामंजस्य से स्कूलों में प्रथम चरण में ही लक्ष्य अर्जित हो जाएगा। ऐसे में प्रवेशोत्सव का दूसरा चरण तो शिक्षकों की उपलब्धियों की चर्चा का होगा। साथ ही नामांकन में वृद्धि होने से युवकों को सम्मानजनक रोजगार मिलेगा। स्कूलों में सुंदरता और संसाधनों में बढ़ोतरी तो होगी ही, नए पद भी सृजित होंगे।
इस तरह होगा लक्ष्य प्राप्त
प्रवेशोत्सव का पहला चरण 26 अप्रेल से 10 मई तक।
अपने परिक्षेत्र (कैचमेंट एरिया) का नजरी नक्शा बनाना।
नजरी नक्शा के मुताबिक प्रवेश योग्य बच्चों की पहचान कर ली है।
किस शिक्षक को किन पांच बच्चों का नवीन प्रवेश कराना है।
लक्षित समूह को विद्यालय से जोडऩे के लिए सामूहिक रूप से भ्रमण कर अभिभावकों को सरकारी विद्यालयों में मिलने वाली सुविधाओं की नियमित चर्चा करना।
समाज ने सदा शिक्षक का विश्वास किया है आगे भी करेगा। समन्वय, सहयोग और सामंजस्य से सफलता मिलेगी।
नवीन प्रवेश सबसे पहले ऐसे बालकों का कराना हो जो संभ्रांत/शिक्षित/नौकरी पेशा परिवार से हो।
योजना बनाई है...
प्रवेशोत्सव को लेकर कार्य योजना बनाई है। यह संस्था प्रधानों, शिक्षकों को भेज दी है। सभी से उम्मीदें और विश्वास है कि पहले चरण के समाप्ति 10 मई तक लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
चन्द्रमोहन उपाध्याय, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) सिरोही