Sunday, April 16, 2017

Praveen Singh

पढ़ाई की उम्र में लाडो का ब्याह, प्रदेश में अव्वल हम

भीलवाड़ा।
पढ़ाई की उम्र में बेटियों के हाथ पीले कर सुसराल भेजने की कुप्रथा (बाल विवाह) में भीलवाड़ा पूरे प्रदेश में अव्वल है। यह चिन्ताजनक एवं चौकाऊ आंकड़े राजस्थान सरकार ने अपने सांझा अभियान के तहत जुटाए एवं बांटे। इसके बाद भी यहां रोकथाम के लिए जागरुकता नहीं दिखी।

राज्य में 10 जिलों में सर्वाधिक बाल विवाह भीलवाड़ा में होते हैं। सरकार की इस रिपोर्ट ने मेवाड़ में बाल विवाह जैसी कुरीति बरकरार होने बात उजागर की। इन हालात को बदलने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विशेष जागरुकता अभियान चलाएगा। मालूम हो, प्रदेश में हर साल अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा पर बाल विवाह होते हैं। इस बार 28 अप्रेल को अक्षय तृतीया और 10 मई को पीपल पूर्णिमा है। इसे रोकने की जिम्मेदारी पंचायतों से लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों तक की है। हालांकि इसके बावजूद बाल विवाह की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

न्यायिक अधिकारी करेंगे जागरुक

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने न्यायिक अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है कि इसे लेकर विशेष जागरुकता अभियान चलाएं। खुद अधिकारी लोगों को जागरुक करेंगे। प्राधिकरण 23 अप्रेल से वृहद जागरुकता अभियान छेड़ेगा। जिले के सभी एसडीएम को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है तथा उपखंड स्तर पर चाइल्ड मैरिज कंट्रोल रूम भी स्थापित किए गए हैं। बाल विवाह रोकने के लिए एक माह पूर्व ही जिला प्रशासन का कंट्रोल रूम स्थापित होना था।

जिले में यहां ज्यादा

जिले के हमीरगढ़, करेड़ा, बदनोर, आसीन्द एवं मांडल क्षेत्रों में बसे गांवों एवं मंगरों में ज्यादा बाल विवाह होते हैं।

बाल व‍िवाह का कारण 

बाल विवाह का बड़ा कारण जिले में गरीबी एवं अशिक्षा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते सामूहिक विवाह एवं अन्य आयोजनों में कम उम्र में बेटी ब्याह देते हैं। अशिक्षा भी बड़ी वजह है।

सजा का प्रावधान

बाल विवाह पर दो साल तक कारावास व एक लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। एेसे विवाह में हिस्सा लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति दोषी माना जाता है। इसमें पंडित, बैंडबाजा, फोटोग्राफर, नाई आदि सहयोगी भी दोषी माने जाते हैं।

सबको दिए हैं निर्देश

-बाल विवाह रोकने के लिए सभी थाना अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। सबको सूचना मिले तो उस पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। अब इसके लिए स्वयंसेवी संगठनों का भी सहयोग लिया जा रहा है।

गोपालस्वरुप मेवाड़ा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भीलवाड़ा

बाल विवाह का सच

राजस्थान- 31.00 प्रतिशत

भीलवाड़ा- 54.10 प्रतिशत

चित्तौडग़ढ़- 52.80 प्रतिशत

टोंक- 48.40 प्रतिशत

राजसमन्द-45.70 प्रतिशत

झालावाड़- 45.60 प्रतिशत

बूंदी- 43.10 प्रतिशत

अजमेर- 39.10 प्रतिशत

दौसा- 38.30 प्रतिशत

करौली-37.70 प्रतिशत

अलवर- 37.00 प्रतिशत

दो साल में हुई कार्रवाई

- वर्ष 2015 में जिले में बाल विवाह के 36 मामले सामने आए। पुलिस ने 29 मामलों में पाबंद कर नोटिस जारी कर बाल विवाह रुकवाया जबकि सात मामले झूठे पाए गए।

- वर्ष 2016 में बाल विवाह के 19 मामले सामने आए। इसमें 13 मामलों में नोटिस देकर पाबंद कर बाल विवाह रूकवाया। पांच मामले झूठे मिले व एक में चालान पेश हुआ।

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